UAE: अबू धाबी की एक कोर्ट ने ऐसा फैसला सुनाया है, जो UAE में लोन और क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने वाले हर शख्स के लिए बड़ी चेतावनी है। कोर्ट ने एक व्यक्ति को 646,000 दिरहम (लगभग ₹1.54 करोड़) लौटाने का आदेश दिया है, क्योंकि उसने अपने लोन और क्रेडिट कार्ड की किश्तें समय पर नहीं चुकाईं। कोर्ट ने साफ कहा कि इस शख्स ने बैंक के साथ किया वादा तोड़ा और उन्हें नुकसान पहुंचाया। आइए, इस मामले को आसान और देसी अंदाज़ में समझते हैं!
क्या है पूरा मामला?
कोर्ट के दस्तावेज़ बताते हैं कि एक शख्स ने बैंक से 613,979 दिरहम का लोन लिया था, जो एक मुरबाहा समझौते (शरिया के तहत इस्लामिक लोन) के तहत था। इसके अलावा, उसने क्रेडिट कार्ड से भी कुछ पैसे खर्च किए। लेकिन लोन और क्रेडिट कार्ड की सुविधा लेने के बाद उसने किश्तें चुकाना बंद कर दिया। नतीजा? बैंक ने कोर्ट में केस ठोक दिया और 641,000 दिरहम, साथ में 20,000 दिरहम मुआवजे और कानूनी खर्चे की मांग की।
विशेषज्ञों ने क्या खोजा?
कोर्ट में केस पहुंचने के बाद एक विशेषज्ञ रिपोर्ट तैयार की गई। इसने पक्का कर दिया कि उस शख्स पर 641,495 दिरहम का बकाया है। साथ ही ये भी साफ हुआ कि बैंक ने पूरी तरह सही प्रोसेस फॉलो किया था – वेतन प्रमाणपत्र, चेक और बाकी गारंटी सबकुछ लिया था। यानी, बैंक की तरफ से कोई चूक नहीं थी।
कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने फैसला सुनाया कि उधारकर्ता ने किश्तें न चुकाकर बैंक के साथ किए कॉन्ट्रैक्ट को तोड़ा। इससे बैंक को न सिर्फ पैसों का नुकसान हुआ, बल्कि वो उस पैसे को कहीं और निवेश भी नहीं कर पाया। इसलिए कोर्ट ने आदेश दिया कि उसे:
- 641,495 दिरहम (मूल बकाया)
- 5,000 दिरहम (मुआवजा)
- और कोर्ट की फीस चुकानी होगी।
हालांकि, बैंक ने कुछ और मुआवजे मांगे थे, जिन्हें कोर्ट ने ठुकरा दिया, क्योंकि वो जायज़ नहीं थे।
ये फैसला क्यों अहम है?
UAE में लोन और क्रेडिट कार्ड के नियम बहुत सख्त हैं। अगर तुम समय पर किश्तें नहीं चुकाते या पेमेंट रोक देते हो, तो ये कानून तोड़ने जैसा है। बैंक को कोर्ट के ज़रिए पूरा बकाया वसूलने का हक है। इस केस से साफ है:
- चाहे इस्लामिक (मुरबाहा) लोन हो या सामान्य लोन, किश्तें चुकाना ज़रूरी है।
- बकाया चुकाने के साथ मुआवजा और कोर्ट फीस भी देनी पड़ सकती है।
क्या सीख मिलती है?
अगर तुम UAE में लोन या क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल कर रहे हो, तो समय पर पेमेंट करना ज़रूरी है। ये केस एक रिमाइंडर है कि अनुशासन से किश्तें चुकाओ, वरना मामला कोर्ट तक जा सकता है। पैसे की टेंशन से बचने के लिए अपने बजट का हिसाब रखो और EMI समय पर चुकाओ।
