UAE: एक युवा भारतीय खिलाड़ी जिसका सपना था कि वह एक दिन यूरोप के मैदानों में प्रोफेशनल फुटबॉल खेले – खुद को ऐसी दुनिया में फंसा हुआ पाया जिसकी उसने कल्पना भी नहीं की थी। फ़ुटबॉल एजेंट बनने का दावा करने वाले एक व्यक्ति ने उसे अफ्रीकी क्लब में ट्रायल दिलाने का वादा किया और कहा कि यह सीधा रास्ता यूरोप तक जाएगा। उसने इस प्रस्ताव पर भरोसा किया, अपनी बचत इकट्ठी की और रेगिस्तानी रास्तों से होते हुए सफ़र शुरू कर दिया। लेकिन जब वह वहां पहुँचा तो उसे पता चला कि न तो कोई क्लब है और न ही कोई ट्रायल। वह सीधे-सीधे मानव तस्करी नेटवर्क के जाल में फंस चुका था।
जब फ़ुटबॉल का सपना बना डरावना हक़ीक़त
एसजी (संक्षिप्त नाम) को धमकाया गया, मारा-पीटा गया और उन महिलाओं पर नज़र रखने के लिए मजबूर किया गया जिन्हें गिरोह दूसरे देशों से अवैध रूप से लाया करता था।
उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया – “मैंने भागने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने पकड़ लिया और बेरहमी से पीटा। दूसरी बार धमकी मिली कि अगर फिर से कोशिश की तो जान से मार देंगे।”
कुछ समय बाद उसी गैंग में काम करने वाला एक व्यक्ति, जिसे उसकी हालत देखकर दया आई, मदद के लिए तैयार हुआ और उसकी मदद से एसजी भागकर अपने देश वापस लौटने में सफल हो गया।
दुबई पहुंचना और नई शुरुआत
देश लौटने के बाद एक दोस्त ने उसे सलाह दी कि वह UAE आकर अपनी किस्मत दोबारा आज़माए। यूएई पहुंचने पर उसे दुबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर स्थित एक प्राइवेट सिक्योरिटी कंपनी में नौकरी मिल गई।
यहीं से उसकी ज़िंदगी एक बार फिर बदली, लेकिन इस बार सकारात्मक दिशा में।
मानव तस्करी के खिलाफ लड़ाई में शामिल होना
दुबई में काम के दौरान कंपनी ने उसे एक ऐसे डिप्लोमा कोर्स में नामांकित किया जिसका उद्देश्य मानव तस्करी को रोकने के लिए प्रोफेशनल्स तैयार करना है। यह प्रोग्राम दुबई पुलिस, राष्ट्रीय मानव तस्करी निरोधक समिति, दुबई ज्यूडिशियल इंस्टीट्यूट और संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (UNODC) के सहयोग से चलाया जाता है।
एसजी ने यह कोर्स न सिर्फ पूरा किया, बल्कि सीमा नियंत्रण और तस्करी रोकथाम पर शोध पत्र भी तैयार किया।
रिसर्च में क्या सिफारिशें शामिल थीं
अपने शोध में उन्होंने सीमा सुरक्षा अधिकारियों के लिए विशेष प्रशिक्षण, अलग-अलग एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय और जन जागरूकता अभियानों की राजधानी भर में ज़रूरत बताई।
उन्होंने सुझाव दिया कि—
- तस्करी की संभावनाओं वाले रूट्स की पहचान के लिए बायोमेट्रिक टेक्नोलॉजी और रिस्क असेसमेंट टूल्स का इस्तेमाल किया जाना चाहिए
- पीड़ितों के लिए मेडिकल, सामाजिक और कानूनी सहायता उपलब्ध कराई जाए
- तमाम सरकारी और प्राइवेट एजेंसियों को मिलकर काम करना चाहिए
एसजी कहते हैं – “इस डिप्लोमा ने मुझे इस अपराध के बारे में गहराई से समझने और अपने साथियों को भी जागरूक करने का मौका दिया। जागरूकता ही पहली और सबसे प्रभावी सुरक्षा है।”
UAE की एंटी-ट्रैफिकिंग नीति और सख्त कानून
यूएई ने पिछले कुछ वर्षों में मानव तस्करी को रोकने के लिए कई कड़े कदम उठाए हैं। 2023 में कैबिनेट ने कानून में संशोधन करते हुए पीड़ितों के लिए एजुकेशनल असिस्टेंस, स्वदेश वापसी सेवाएँ और मानसिक देखभाल जैसी सुविधाएँ जोड़ी हैं। इसके साथ ही तस्करी को बढ़ावा देने वाले या उसे सुविधाजनक बनाने वाले किसी भी व्यक्ति को अपराध के दायरे में लाया गया है।
वर्तमान कानून के तहत मानव तस्करी से जुड़े मामलों में न्यूनतम 100,000 दिरहम का जुर्माना और कम से कम पाँच साल की जेल का प्रावधान है। इसके अलावा यूएई में पीड़ितों के लिए सुरक्षित आश्रय गृहों का नेटवर्क भी बनाया गया है, जहाँ उन्हें आवश्यक सुरक्षा और सहारा दिया जाता है।
एक कहानी जो अब उम्मीद की मिसाल बन गई
एसजी का सफर बताता है कि कैसे एक व्यक्ति जिसने खुद मानव तस्करी की पीड़ा झेली, आज उसी अपराध के खिलाफ खड़ा है। दुबई पुलिस से मिला एंटी-ट्रैफिकिंग डिप्लोमा अब उसके लिए केवल एक सर्टिफिकेट नहीं, बल्कि एक मिशन बन गया है – ताकि दूसरे युवाओं को वही गलती न दोहरानी पड़े जो उसने कभी की थी।
