Dubai: दुबई की प्रथम दृष्टया अदालत ने एक एशियाई नागरिक को नशीले पदार्थ रखने और अपनी पत्नी को ड्रग्स देने में मदद करने के जुर्म में 5 साल की जेल, 50,000 दिरहम का जुर्माना और देश से निर्वासन की सजा सुनाई है.
यह मामला तब सामने आया जब दुबई पुलिस के मादक पदार्थ निरोधक विभाग को एक भरोसेमंद सूत्र से यह रिपोर्ट मिली कि आरोपी की पत्नी अल मुराक्काबात इलाके में अवैध ड्रग्स का उपयोग कर रही है.
सोशल मीडिया के ज़रिए खरीदी गई ड्रग्स
तफ्तीश के दौरान आरोपी ने यह स्वीकार किया कि उसने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मिलने वाले एक अज्ञात डीलर से ड्रग्स खरीदी थीं.
वह व्यक्ति व्हाट्सएप पर लोकेशन भेजता था और बैंक ट्रांसफर के माध्यम से पेमेंट लेता था. आरोपी ने भी इसी तरह 200 दिरहम ट्रांसफर करके GPS लोकेशन के आधार पर नशे का सामान पिक किया.
छापेमारी में मिला क्रिस्टल मेथ
पुलिस को सूचना मिलने के बाद आरोपी के घर पर छापेमारी की गई.
इस दौरान 40 ग्राम क्रिस्टलीय मेथैम्फेटामिन और उसी ड्रग से युक्त एक भूरे रंग का पदार्थ बरामद किया गया.
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, छापेमारी के समय आरोपी बहुत घबराया हुआ था और बार-बार जवाब देने से हिचक रहा था.
दोनों पति-पत्नी के ब्लड सैंपल में मिली ड्रग्स
प्रयोगशाला टेस्ट में यह पुष्टि हुई कि दोनों पति-पत्नी के सैंपल में एम्फेटामिन और मेथामफेटामिन पाए गए.
यूएई के 2021 संघीय डिक्री नंबर 3 के तहत ये दोनों पदार्थ सख्त तौर पर प्रतिबंधित मादक पदार्थ की श्रेणी में आते हैं.
पत्नी को फ्री में देता था ड्रग्स
पूछताछ के दौरान आरोपी ने यह भी स्वीकार किया कि वह अपनी पत्नी को फ्री में ड्रग्स देकर उनका सेवन करने में मदद करता था.
अदालत ने माना कि आरोपी ने न सिर्फ नशीला पदार्थ अपने पास रखा, बल्कि उसे दूसरों तक पहुंचाने का भी काम किया.
कोर्ट का सख्त फैसला और ट्रांजैक्शन बैन
अदालत ने उसे
- 5 साल जेल,
- 50,000 दिरहम जुर्माना,
- और सजा पूरी होने के बाद यूएई से निर्वासन की सजा दी।
इसके अलावा, कोर्ट ने एक अतिरिक्त आदेश भी पास किया है, जिसके तहत
यूएई सेंट्रल बैंक के निर्देश तक वह किसी अन्य व्यक्ति को पैसे ट्रांसफर या डिपॉज़िट नहीं कर सकेगा.
यह आदेश दुबई के आंतरिक मंत्रालय और बैंकिंग अथॉरिटी के बीच किए गए समन्वय के तहत जारी हुआ है.
अपील अदालत ने भी बरकरार रखा फैसला
आरोपी ने बाद में इस फैसले के खिलाफ अपील दायर की, लेकिन अपील अदालत ने मूल निर्णय को बरकरार रखा और कहा कि
ड्रग्स का रखना और किसी अन्य व्यक्ति को उपलब्ध कराना एक ऐसा अपराध है जिसमें किसी भी तरह की नरमी नहीं बरती जा सकती.
यह मामला यूएई में नशीले पदार्थों के खिलाफ अपनाए गए “जीरो टॉलरेंस” रवैये की एक और मिसाल है.
अधिकारियों का कहना है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के ज़रिए होने वाली ड्रग डीलिंग पर लगातार निगरानी रखी जा रही है और इस तरह के मामलों में कड़ी कार्रवाई जारी रहेगी.
