Dubai: दुबई की एक अदालत ने हाल ही में एक बड़े वित्तीय घोटाले का खुलासा किया है। विभिन्न देशों से जुड़े 18 लोगों को करोड़ों दिरहम की गबन और Money Laundering योजना में उनकी भूमिका के लिए दोषी ठहराया गया। यह मामला दुबई की एक प्रतिष्ठित कानूनी फर्म को निशाना बनाकर किया गया था, जिसमें आरोपियों ने फर्जी कंपनियों और नकली दस्तावेज़ों का इस्तेमाल किया।
185 मिलियन दिरहम की चोरी कैसे हुई?
अदालत में पेश किए गए सबूतों से पता चला कि आरोपियों ने लॉ फर्म से कुल 185 मिलियन दिरहम की हेराफेरी की। उन्होंने न सिर्फ फर्म के क्लाइंट्स का डेटा चुराया, बल्कि उसका दुरुपयोग करके खुद को फर्म का प्रतिनिधि बताया और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से भुगतान वसूले। यह रकम सीधे उनकी बनाई हुई फर्जी कंपनियों के खातों में भेज दी गई।
धोखाधड़ी को छिपाने के लिए उन्होंने यूएई और विदेश में कई फर्जी कंपनियां बनाई थीं। इसके अलावा, पैसे के सोर्स को छिपाने के लिए अलग-अलग बैंक खातों और जटिल लेन-देन का सहारा लिया गया।
अदालत का फैसला
दुबई की प्रथम दृष्टया अदालत (Court of First Instance) ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए सभी दोषियों को अलग-अलग सज़ाएं सुनाईं।
- चार आरोपियों को तीन साल जेल और फिर निर्वासन की सज़ा दी गई।
- बाकी 12 आरोपियों को एक साल जेल और उसके बाद निर्वासन की सज़ा सुनाई गई।
- दो आरोपियों पर 20,000 दिरहम का जुर्माना लगाया गया।
- इस योजना से जुड़ी तीन कंपनियों पर 500,000 दिरहम का भारी जुर्माना ठोका गया।
- वहीं, सबूतों की कमी के कारण चार अन्य व्यक्तियों को बरी कर दिया गया।
अदालत ने यह भी आदेश दिया कि दोषियों की 113.65 मिलियन दिरहम की संपत्ति जब्त की जाए, जिसे मनी लॉन्ड्रिंग से अर्जित किया गया था।
धोखाधड़ी का तरीका
जांच के दौरान खुलासा हुआ कि आरोपियों ने धोखाधड़ी करने के लिए जाली ईमेल, नकली स्टेशनरी और फर्जी डॉक्यूमेंट्स तैयार किए। उन्होंने फर्म के क्लाइंट डेटाबेस की कॉपी की और खुद को कानूनी फर्म का कर्मचारी बताकर कंपनियों से संपर्क किया। जब कंपनियों ने भुगतान किया तो वह रकम सीधे उनकी बनाई गई फर्जी कंपनियों के खातों में चली गई।
अपील कोर्ट का रुख
एक अलग सुनवाई में एक मुख्य आरोपी को विश्वासघात (Breach of Trust) के आरोप से बरी कर दिया गया, लेकिन गबन और मनी लॉन्ड्रिंग केस में दिए गए फैसले को दुबई अपील कोर्ट ने भी बरकरार रखा।
यह मामला इस बात का बड़ा सबूत है कि दुबई में वित्तीय अपराधों और मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर कानून बेहद सख्त हैं। अदालत ने साफ कर दिया है कि ऐसे अपराधियों को सिर्फ जेल ही नहीं, बल्कि निर्वासन और करोड़ों के जुर्माने का भी सामना करना होगा।
यह घटना कंपनियों और ग्राहकों दोनों के लिए सबक है कि वे अपने वित्तीय लेन-देन को लेकर सतर्क रहें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि से बचें।
