UAE: अबू धाबी की फैमिली, सिविल और एडमिनिस्ट्रेटिव कोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने एक कंपनी को आदेश दिया कि वो अपने घायल कर्मचारी को 15,000 दिरहम मुआवज़े के तौर पर दे, साथ में केस के सारे खर्च भी चुकाए। ये रकम उसे शारीरिक चोट और मानसिक परेशानी – दोनों का हर्जाना मानकर दी जा रही है।
हादसा कैसे हुआ?
कोर्ट के रिकॉर्ड के मुताबिक, हादसा तब हुआ जब कंपनी ने साइट पर ठीक से सेफ्टी इंतज़ाम नहीं किए थे। न तो वर्कर को सही प्रोटेक्शन गियर मिला और न ही काम की जगह पर कोई खास एहतियात बरती गई। नतीजा – एक वर्कर बुरी तरह घायल हो गया।
लगी कौन-कौन सी चोटें?
वर्कर की बाईं आंख की रोशनी कमजोर हो गई, गाल पर गहरी चोट आई, आंख के पास की हड्डी टूट गई और आंख में इंफेक्शन भी हो गया। मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक, इन चोटों की वजह से उसे हमेशा के लिए विकलांगता हो गई।
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केस का सफर
बानी यास के प्रॉसिक्यूटर्स ने कंपनी पर क्रिमिनल केस दर्ज किया। अबू धाबी की क्रिमिनल कोर्ट ने कंपनी को दोषी माना, और अपील में भी यही फैसला रहा। इसके बाद वर्कर ने सिविल कोर्ट में 2 लाख दिरहम का मुआवज़ा मांगा, साथ ही 12% सालाना ब्याज और पुराने कानूनी खर्च लौटाने की मांग की।
कोर्ट का फाइनल डिसीज़न
कोर्ट ने कहा – कंपनी की लापरवाही और सेफ्टी की कमी ही हादसे की वजह है। हालांकि मांगी गई रकम पूरी नहीं मिली, लेकिन 15,000 दिरहम का मुआवज़ा, केस का खर्च और बाकी अदालती फीस कंपनी को देनी होगी।
क्यों ज़रूरी है ये फैसला?
ये केस साबित करता है कि वर्कप्लेस सेफ्टी सिर्फ दिखावे के लिए नहीं, बल्कि कानून के तहत ज़रूरी है। अगर नियोक्ता इसे नज़रअंदाज़ करते हैं और वर्कर को चोट लगती है, तो सज़ा और मुआवज़ा – दोनों देना पड़ सकता है।
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